यूनिफॉर्म सिविल कोड आखिर है क्या? WHAT IS UNIFORM CIVIL CODE?

UNIFORM CIVIL CODE



दोस्तों, देश में एक बार फिर समान नागरिक संहिता को लेकर बहस शुरू हो गई है. आपने  देखा होगा जब जब चुनाव शुरू होते है तब तब यह मुद्दा काफी गरम हो जाता है आपको याद होगा कि कुछ समय पहले असहनशीलता पर काफी बहस हुई थी और कितने लोग अपने अवार्ड वापस करने लगे थे लेकिन जैसे ही बिहार का चुनाव समाप्त हुआ ये मुद्दे भी गायब हो गए थे| दोस्तों हमलोगो ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के बारे में बहुत सुने है लेकिन कभी इसकी गहराई में नहीं गए है | आखिर क्या होता है समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) |

दोस्तों, इस पोस्ट को समस्त हिन्दुस्तान की जनता तक पहूँचाए, जिससे काफी लोगो को पता चले|

यूनिफॉर्म सिविल कोड आखिर है क्या?

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानि समान नागरिक संहिता का मतलब है भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून जिसमे सभी धर्मो के लोग रहते है  हमारे देश में अलग-अलग धर्मो के लिए अलग-अलग कानून है जैसे मुस्लिमो के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ, हिन्दुओं के लिए हिन्दू एक्ट और भी बहुत सारे कानून हमारे देश में है| अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड समान नागरिक संहिता हमारे देश में लागु हो जाता है तो सभी धर्मो का एक जैसा कानून हो जाएगा जिससे सभी धर्मो का मनमानी बंद हो जाएगा| जैसे मुसलमानों में  तीन  शादियां करने का रिवाज खत्म हो जाएगा और महज तीन बार तलाक बोले देने से पत्नी का रिश्ता खत्म कर देने वाली परंपरा भी समाप्त हो जाएगी|
और भी बहुत सारे अधिकार नागरिको को मिल जाएगा जब यह कानून लागु हो जाएगा
इतना ही नहीं महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे. जब-जब सिविल कोड को लेकर बहस छिड़ी है, विरोधियों ने यही कहा है कि ये सभी धर्मों पर हिंदू कानून को लागू करने जैसा है| समान नागरिक संहिता का मतलब हर धर्म के पर्सनल लॉ में एकरूपता लाना है| इसके तहत हर धर्म के कानूनों में सुधार और एकरूपता लाने पर काम होगा. यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है|



क्यों है जरूरी समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)?

  • अभी मुसलमानों में तीन शादियों की इज़ाज़त है और महज तीन बार तलाक बोलने से तलाक हो जाता है और वही हिन्दुओ में एक शादी की इज़ाज़त है| अगर यह कानून आ गया तो सभी के लिए एक जैसा कानून हो जाएगा|
  • देश में अलग अलग कानून से न्यायपालिका को निर्णय लेने में देरी होती है इस कानून के आने के बाद लंबे समय से pending केसों का निपटारा जल्द होगा|
  • गोद लेना और जायदाद में बंटवारे में सभी को एक कानून मानना होगा
  • इस कानून के आने से देश का विकास भी काफी तेजी से होगा
  • मुस्लिम महिलाओं को काफी राहत होगी और उनकी स्थिति अच्छी होगी|
  • समान नागरिक संहिता कानून आने से राजनितिक पार्टियों के लिए वोट बैंक की राजनीती समाप्त हो जाएगी

क्या लोगों का धार्मिक अधिकार छिन जाएगा?

बिल्कुल नहीं ! बहुत लोग ये मानते है कि अगर समान नागरिक संहिता कानून लागु हो गया तो हमारी धार्मिक मान्यताओं को मानने का अधिकार छिन जाएगा ये बिल्कुल गलत है| संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता  लागु करना हमारा लक्ष्य है,   सुप्रीम कोर्ट भी समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में केन्द्र सरकार के विचार जानने की पहल कर चुका है।  यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाने से देश के प्रत्येक नागरिक एक समान कानून के दायरे में आ जाएगा, जिसके तहत शादी, तलाक, जायदाद और गोद लेने जैसे मामले सभी के लिए सामान हो जाएगा| इससे कानूनी रूप में और मजबूत आधार बन जाएगा|

हिंदू पर्सनल लॉ क्या है?

भारत की आजादी के बाद भी कई संकीर्ण मानसिकताओं का गुलाम बना हुआ था जिसमे पुरुष एक से अधिक शादी कर सकते थे और वही विधवा महिलाए पुनर्विवाह (re-marriage) नहीं कर सकती थी इसी सब सामाजिक बंधन को ख़त्म करने के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरु ने हिन्दू लॉ लाने की वकालत की जिसमे उनका समर्थन बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर किये थे लेकिन इस बिल का विरोध होने के चलते यह पास नहीं हो पाया|हिन्दुओ का विरोध इसलिए था कि ये सिर्फ हिन्दुओ के लिए ही क्यों कानून लाया जा रहा है जब कि देश में और भी धर्म के लोग रहते है जब कानून ही लाना है सभी के लिए होना चाहिए | देश में जबरदस्त विरोध के चलते हिन्दू पर्सनल लॉ को चार हिस्सों में बांट दिया गया जो इस प्रकार है –
  • हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act)
  • हिंदू सक्सेशन एक्ट (Hindu Succession Act)
  • हिंदू एडोप्शन एंड मैंटेनेंस एक्ट (Hindu Adoption and Maintenance Act)
  • हिंदू माइनोरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट (Hindu Minority and Guardianship Act)



यह पहला ऐसा बिल जो हिंदुओं  के लिए लाया गया जिसे हम  हिंदू कोड बिल भी कहते है|इस कानून के आने के बाद महिलाये क़ानूनी रूप से काफी मजबूत हो गयी और महिलओं को पति और पिता की संपति में भी बराबर का अधिकार दिया गया| इस कानून के बनने के बाद कोई पुरुष  सिर्फ एक ही शादी कर सकता है दूसरी शादी करने के लिए उसे पहली बीवी से तलाक लेना होगा तभी दूसरा शादी कर सकता है | इसके अलावा दूसरी जातियों के लोगों को एक-दूसरे से शादी करने का अधिकार भी इस कानून में है|

मुस्लिम पर्सनल लॉ क्या है?

मुस्लिम पर्सनल लॉ शरीयत पर आधारित है। और शरीयत को कुरान और पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं और प्रथाओं के रूप में देखा जाता है| इसमें पुरुष एक से ज्यादा शादी कर सकता है और सिर्फ तीन बार तलाक बोलने से पुरुष अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है| मुस्लिम पर्सनल लॉ की स्थापना साल 1937 में हुई थी। बाद में इसे All India Muslim Personal Law Board कहा जाने लगा और यह बोर्ड भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री मति इंदिरा गाँधी के शासन काल में बना था| अधिकांश मुस्लिम संप्रदाय बोर्ड में प्रतिनिधित्व करते है और इसके सदस्यों में भारतीय मुस्लिम समाज के प्रमुख मुस्लिम जैसे धार्मिक नेताओं, विद्वानों, वकीलों और राजनेताओं शामिल हैं। भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नियम भारत में शिया और अहमदिया मुसलमानों पर लागू नहीं होते हैं।

ईसाईयों का पर्सनल लॉ 

ईसाइयों के पर्सनल कानून में अगर कोई तलाक लेना चाहता है तो उसे कम से कम दो साल तक एक दुसरे से अलग रहना जरुरी है इसके अलावा लड़की का अपनी माँ के जमीन जायदाद पर कोई अधिकार नहीं होता है
ईसाइयों के पर्सनल कानून में दो बातें अहम हैं. एक शादीशुदा जोड़े को तलाक के लिए दो साल तक अलग रहना जरूरी होता है. इसके अलावा लड़की का मां की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता| अभी कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ईसाई पर्सनल लाॅ के द्वारा मिला तलाक वैध नहीं है यह ईसाई पर्सनल लाॅ और चर्च में वैध हो सकता है लेकिन यह   भारतीय कानून में वैध  नहीं है| और इसे सुप्रीम कोर्ट की अदालत ने एक जनहित याचिका खारिज कर दी है।
देश में कुछ ऐसे ही जटिल क़ानूनी मामले हुए है जिससे हमलोगो को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)  कानून की जरूरत का अहसास भी कराते हैं| जैसे –

शाह बानो केस –

शाह बानो केस काफी चर्चित मामला था जिसे देश की नीव हिला के रख दिया था| 1985 में 62 वर्षीय शाह बानो का अपने पति से तलाक हो गया था और उनके 6 बच्चों की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गयी थी तब शाह बानो ने गुजारा भत्ता पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय सुनाया था|लेकिन कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया था तब उस समय की कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए संसद में  मुस्लिम महिला अधिनियम कानून लाया गया और पास करा दिया गया जिसे हम Muslim Women (Protection of Rights on Divorce) Act 1986  कहते है| जिससे शाह बानो का जीता हुआ केस को निरस्त कर दिया गया| इस केस ने मुस्लिम महिलाओं को सोचने पे मजबूर कर दिया था इसके बहुत सी मुस्लिम महिलाए अपने हक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना शुरू दिया है| जैसा कि आपको पता ही है ट्रिपल तलाक का मुद्दा कितना गरमाया हुआ है|

90 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं ट्रिपल तलाक के विरोध में

आपने सुना ही होगा कि किसी ने  खत के द्वारा , ई-मेल/मैसेज से, और तो और आजकल मुस्लिम लोग वॉट्सऐप और स्काइप के जरिए भी  मुस्लिम महिलाओं को तलाक देने के कई मामले सामने आए हैं| आज भारत काफी तेजी से विकास कर रहा है और पूरी दुनिया में भारत अपनी धाक जमा रहा है आज पूरी दुनिया में भारत को एक अच्छी नज़र से देखा जाता है| लेकिन भारत में ही पुरुषों और महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है भारत विविधताओ का देश है इसमें हर धर्म के लोग रहते है और सबका अपना अपना कानून है| एक सर्वे में भारत की 90 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने ट्रिपल तलाक को पूरी तरह से ख़त्म करने की वकालत की है अगर समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू हो जाने से ऐसी महिलाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा मिलेगा| और सभी के लिए एक समान कानून आ जाने से सभी को समान अधिकार प्राप्त हो जाएंगे जिससे देश और तेज गति से आगे बढेगा और पूरी दुनिया में नाम होगा|
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का विवाद अंग्रेजों के ज़माने से चला आ रहा है अंग्रेज कभी भी मुस्लिमों के साथ दुश्मनी नहीं चाहते थे इसलिए इसे हमेशा दबाये रखा आजादी के बाद हिन्दू कानूनों में जरुर बदलाव किया गया लेकिन दुसरे धर्मो में कोई भी बदलाव नहीं किया गया दूसरी वजह राजनितिक पार्टिया भी है जो कभी भी इस मुद्दे पर बहस करना नहीं चाहती है क्यों कि इससे उनका वोट बैंक प्रवावित पड़ता इसलिए कभी इस मुद्दे को जोर शोर से नहीं उठाया गया|

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Thanks once again my dear friends…. Happy Reading…………

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